अखिलेश सरकार ने 17% वोट शेयर वाली 17 OBC जातियों को SC में शामिल किया, एक्सपर्ट्स बोले- ये फैसला अधिकार क्षेत्र में नहीं

लखनऊ. अखिलेश सरकार ने गुरुवार को यूपी की 17 OBC जातियों को अनुसूचित जाति (SC) में शामिल करने वाले प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। हालांकि, ये पहली बार नहीं। इसके पहले अपनी सरकारों के वक्त मुलायम और मायावती भी चुनाव के पहले ये कदम उठा चुके हैं। लेकिन, इसके लिए उन्हें केंद्र की मंजूरी नहीं मिली थी। जब इस मामले को एक्सपर्ट्स के सामने रखा तो उन्होंने कहा- ये सीएम के अधिकार क्षेत्र से बाहर का मामला है और सिर्फ चुनावी स्टंट है। क्या है मामला…
जिन 17 जातियों को प्रदेश में अनुसूचित जाति में शामिल करने का सरकार ने निर्णय लिया है, उनका प्रदेश में वोट प्रतिशत 17 फीसदी है।
यूपी कैबिनेट ने 17 ओबीसी जातियों को एससी में शामिल किया है। ये हैं- निषाद, मल्लाह, भर, बाथम, तुरहा, कहार, कश्यप, केवट, कुम्हार, राजभर, प्रजापति, धीवर, धीमर, बिंद, माझी, गौड़ और मछुवा।
– 16 दिसंबर को अखिलेश यादव ने कहा था- हमने चुनावी घोषणापत्र में किए वादे के मुताबिक 17 पिछड़ी जातियों (OBC) को SC में शामिल करने संबंधी प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेज दिया है। हालांकि केंद्र ने इसकी मंजूरी नहीं दी थी।
– अखिलेश ने कहा था- मुलायम सिंह यादव ने 2006 में भी इन जातियों को अनुसूचित जातियों में शामिल करने संबंधी प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा था। हालांकि मायावती सरकार ने इसे वापस ले लिया था।
दो एक्सपर्ट रिटायर्ड आईएएस हरीश कुमार और दलित मामलों के जानकार एसआर दारापुरी के जरिए बता रहा है कि यूपी सरकार के इस फैसले में कितना दम है…
- हरीश कुमार के मुताबिक…
– यह राज्य सरकार के क्षेत्र में नहीं है। तभी हो सकता है जब केंद्र सरकार चाहेगी।
– जनगणना विभाग सर्वे करता है कि देश और समाज में किन-किन जातियों का आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणित स्तर क्या है?
– रिपोर्ट केंद्र को सौंपी जाती है। वहां विचार के बाद फैसला होता है। 2017 में चुनाव हैं और ये अखिलेश का पैंतरा भर है।
– ये सिर्फ इसलिए किया जाता है कि केंद्र सरकार के खिलाफ दुष्प्रचार किया जा सके कि हमने कर दिया लेकिन वो नहीं कर रहे हैं।
- दारापुरी के मुताबिक….
– ये सिर्फ जनता से धोखा और चुनावी हथकंडा है। सरकार ये जानती है कि ये उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं है। माया-मुलायम इस्तेमाल कर चुके हैं।
– संविधान की धारा 341 में यह साफ है कि कौन-सी जाति अनूसचित जाति में शामिल की जा सकती है।
– यह अधिकार सिर्फ केंद्र को है। इसके लिए दो अथॉरिटी हैं। रजिस्ट्रार ऑफ इंडिया और अनुसचित आयोग।
मुलायम सिंह और मायावती के वक्त क्या हुआ था?
– 2007 में चुनाव होने थे। 2006 में मुलायम सिंह ने 17 जातियों को एससी में शामिल करने का ऑर्डर जारी कर दिया। कोर्ट ने ऑर्डर को मंजूरी नहीं दी।
– 2012 में चुनाव होने थे। मायावती ने 2011 में 17 जातियों को एससी में शामिल करने के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा।
– केंद्र सरकार ने इस पर जानकारी मांगी तो मायावती वो मुहैया नहीं करा पाईं। इसकी मंजूरी नहीं मिली।
अंग्रेजों के जमाने के मानक
– अंग्रेजों ने किसी भी जाति को SC में शामिल करने के लिए 1935 में आठ मानक तय किए थे। उन्हें ये जातियां पूरी नहीं करती हैं।
– इसमें प्रमुख ये है कि जिस जाति के लोग छुआछूत के शिकार हों उन्हें SC का दर्जा दिया जाना चाहिए, लेकिन ये जातियां तो लोगों के यहां काम करती हैं।
बीजेपी और बीएसपी ने किया विरोध
– बीजेपी नेता सुरेश खन्ना ने कहा- ये प्रस्ताव पहले भी पास किया जा चुका है। अंतिम फैसला केंद्र सरकार सही वक्त पर लेगी।
– बसपा नेता चरण दिनकर ने कहा- किसी भी जाति की कैटेगरी बदलने का अधिकार केंद्र सरकार को है।
केंद्र सरकार ने 15 नई जातियों को OBC में किया था शामिल
– इससे पहले केंद्र सरकार ने 30 नवंबर को ओबीसी की केंद्रीय सूची में 15 नई जातियों को शामिल करने को मंजूरी दी थी।
– साथ ही इस लिस्ट में 13 अन्य जातियों के बदलाव की भी मंजूरी दी।
– नेशनल कमीशन ऑफ बैकवर्ड क्लासेज (एनसीबीसी) ने असम, बिहार, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड में 28 बदलावों की सिफारिश की थी।
– इन 28 में से 15 नई एंट्री थीं और 9 उन जातियों की उपजाति थीं, जो कि पहले से ही लिस्ट में मौजूद थीं।
Courtesy: