आप को झटका, लाभ के पद मामले में 20 विधायक अयोग्य घोषित

शुक्रवार को एक बड़ी कार्रवाई के तहत चुनाव आयोग ने दिल्ली में आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया. इसे दिल्ली सरकार और आम आदमी पार्टी के लिए भारी झटका माना जा रहा है. आयोग ने विधायकों की सदस्यता खत्म करने की सिफारिश राष्ट्रपति को भेज दी है. इसी के साथ दिल्ली की 20 सीटों पर उपचुनाव की नौबत आ गई है.
चुनाव आयोग का फैसला आते ही बीजेपी ने कहा है कि केजरीवाल सरकार को बर्खास्त कर देनी चाहिए.
आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों के लाभ का पद मामले में चुनाव आयोग पहले ही सुनवाई पूरी कर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. आप के 21 विधायक संसदीय सचिव हैं जो कि लाभ का पद है. इसलिए इनकी याचिका चुनाव आयोग खारिज कर दी थी.
क्या है मामला आम आदमी पार्टी ने 13 मार्च 2015 को अपने 21 विधायकों को संसदीय सचिव बनाया था. इसके बाद 19 जून को प्रशांत पटेल ने राष्ट्रपति के पास इन सचिवों की सदस्यता रद्द करने के लिए आवेदन किया. इसके बाद जरनैल सिंह के पंजाब विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए राजौरी गार्डन के विधायक के रूप में इस्तीफा देने के साथ उनके खिलाफ कार्यवाही बंद कर दी गई थी.
आयोग का कहना है कि जब हाई कोर्ट ने विधायकों की नियुक्ति को असंवैधानिक बताकर उन्हें दरकिनार कर दिया था, तब ये विधायक 13 मार्च 2015 से आठ सितंबर 2016 तक ‘अघोषित तौर पर’संसदीय सचिव के पद पर थे. अदालत ने आठ सितंबर 2016 को 21 आप विधायकों की संसदीय सचिवों के तौर पर नियुक्तियों को दरकिनार कर दिया था. अदालत ने पाया था कि इन विधायकों की नियुक्तियों का आदेश उप राज्यपाल की सहमति के बिना दिया गया था.
राष्ट्रपति की ओर से 22 जून को यह शिकायत चुनाव आयोग में भेज दी गई. शिकायत में कहा गया था कि यह ‘लाभ का पद’ है इसलिए आप विधायकों की सदस्यता रद्द की जानी चाहिए. इससे पहले मई 2015 में चुनाव आयोग के पास एक जनहित याचिका भी डाली गई थी.
क्या कहा था सीएम केजरीवाल ने दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि विधायकों को संसदीय सचिव बनकर कोई ‘आर्थिक लाभ’ नहीं मिल रहा है. इस मामले को रद्द करने के लिए आप विधायकों ने चुनाव आयोग में याचिका दायर की थी. वहीं राष्ट्रपति ने दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार के संसदीय सचिव विधेयक को मंजूरी देने से इनकार कर दिया था. इस विधेयक में संसदीय सचिव के पद को लाभ के पद के दायरे से बाहर रखने का प्रावधान था.
Courtesy: Firstpost