सरकार खाना और नौकरी नहीं दे सकती तो भीख मांगना अपराध कैसेः हाई कोर्ट

दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार(16 मई) को एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि अगर सरकार भोजन या नौकरियां नहीं दे सकती तो भीख मांगना अपराध कैसे हो सकता है।
ख़बरों के मुताबिक, कोर्ट उन दो जनहित याचिकाओं की सुनवाई कर रही थी, जिनमें भीख मांगने को अपराध की श्रेणी से बाहर किए जाने का आग्रह किया गया था। याचिकाओं पर कोर्ट ने कहा कि व्यक्ति केवल जरूरत की वजह से भीख मांगता है अपने मन से नहीं।
नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ऐक्टिंग चीफ जस्टिस गीता मित्तल और जस्टिस सी. हरि शंकर की बेंच ने कहा कि एक व्यक्ति केवल भारी जरूरत की वजह से ही भीख मांगता है न कि अपनी पसंद की वजह से। बेंच ने कहा, ‘हमसे एक करोड़ रुपये की पेशकश की जाए तो क्या तब आप या हम भीख नहीं मांगेंगे। यह भारी जरूरत होती है कि कुछ लोग भोजन के लिए अपना हाथ पसारते हैं। एक देश में जहां सरकार भोजन या नौकरियां देने में असमर्थ है तो भीख मांगना एक अपराध कैसे है।’
रिपोर्ट के मुताबिक, इससे पहले केंद्र सरकार ने कोर्ट में कहा था कि यदि गरीबी के कारण ऐसा किया गया है तो भीख मांगना अपराध नहीं होना चाहिए। यह भी कहा था कि भीख मांगने को अपराध की श्रेणी से बाहर नहीं किया जाएगा। हर्ष मेंदार और कर्णिका की ओर से दायर जनहित याचिका में भीख मांगने को अपराध की श्रेणी से बाहर करने के अलावा राष्ट्रीय राजधानी में भिखारियों को आधारभूत मानवीय और मौलिक अधिकार देने का आग्रह किया गया था।
Courtesy: jantakareporter
Related Articles

जज लोया की मौत: मेडिकल दस्तावेज़ों दिल के दौरे की बात को नकारते हैं, अग्रणी फॉरेन्सिक विशेषज्ञ की राय
